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UPSC CSE: भारत में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने को युवाओं में काफी ज्यादा क्रेज है। दुनिया की सबसे कठिन और देश की प्रतिष्ठित मानी जाने वाली यूपीएससी परीक्षा में हर साल लाखों छात्र अपनी किस्मत आजमाते हैं। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो इस परीक्षा में सफल होने के लिए कई-कई साल भी गुजार देते हैं। लेकिन बहुत ही कम लोगों को इस परीक्षा में सफल हो पाते हैं। ऐसे ही सफल लोगों में से एक आईएएस ऑफिसर ओमकार पवार भी हैं।
सतारा, महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव पले-बढ़े पवार द्वारा इंजीनियरिंग छोड़कर आईएएस ऑफिसर बनने की कहानी काफी दिलचस्प है।
अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए पवार ने एक स्थानीय मीडिया को बताया कि उनकी शुरुआती शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। इसके बाद वह इंजीनियरिंग करने पूणे चले गए। हालांकि उनका दावा है कि वह कभी इंजीनियर नहीं बनना चाहते थे। ओमकार ने बताया कि उनके घरवालों को कुछ भी पता नहीं था कि 12वीं के बाद क्या बनना है। लेकिन स्कूल रिजल्ट में उनका परफॉर्मेंस अच्छा था जिससे घरवालों से इंजीनियरिंग कराने का फैसला किया।
ओमकार ने बताया कि जब वह इंजीनियरिंग फाइनल ईयर में थे तब भी उनके मन में यूपीएससी परीक्षा को लेकर कोई खयाल नहीं था। लेकिन उनकी मां ने एक दिन देखा कि गांव में जो अधिकारी आते हैं उन्हें बहुत ज्यादा आदर-सम्मान मिलता है। इसके बाद उनकी मां भी अपने बेटे को प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर देखना चाहती थीं। यही कारण है कि ओमकार ने अपनी मां के कहने पर आईएएस ऑफिसर बनने की ठानी और यूपीएससी परीक्षा दी। ओमकार ने बताया कि उन्हें यूपीएससी परीक्षा पास करने की प्रेरणा आईएएस अधिकारी और पूर्व नगर निगम कमिश्नर श्रीकर परदेशी से मिली। परदेशी जिस तरह से कार्य कर रहे थो उससे उन्हें लगा कि आईएएस अधिकारी बनना चाहिए।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने का मिला था ऑफर:
ओमकार के अनुसार, इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद उनके पास सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के कई ऑफर आए। लेकिन उनका दिल तो आईएएस ऑफिसर के सपने बुनने लगा था। इंजीनियरिंग में अच्छी सैलरी और चकाचौंध भरी कॉर्पोरेट लाइफ का मौका होने के बाद भी वह अधिकारी बनकर ग्रामीण इलाकों में काम करना चाहते थे। इन्हीं सब बातों को देखते हुए उन्होंने साहसी निर्णय लिया और खुद को यूपीएससी परीक्षा के लिए समर्पित कर दिया।
ओमकार पवार पहली बार 2015 में यूपीएससी की परीक्षा दी और 4 नाकाम कोशिशों के दौरान 2018 में उनकी तीन पदों पर सेलेक्शन हुआ। 2018 में उन्हें सेंट्रल आर्म्ड फोर्स में बतौर असिस्टैंट कमांडेंट तैनाती मिली। इसके बाद 2020 में उन्हें आईपीएस ऑफिसर के तौर ज्वॉइनिंग मिली। लेकिन वह तो आईएएस ऑफिसर ही बनना चाहते थे। फिर क्या था उनकी इच्छा शक्ति 2022 में रंग लाई और वह 194 रैंक के साथ आईएएस ऑफिसर बने। उनकी इस सफलता से यह साबित होता है कि दृड़ इच्छा शक्ति और लगातार प्रयत्न से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।
आईएएस बनने को मां ने किया था प्रेरित:
ओमकार के आईएएस ऑफिसर बनने के पीछे उनके परिवार का भी अहम रोल था। घर में उनकी दो बहनें हैं। पिता कृषि व्यवसाय में हैं। और मांग घर के काम देखती हैं। यह उनकी मां की इच्छा ही थी जो उनकी सफलता ऊर्जा के तौर पर कार्य किया।