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BPSC Success Story: बिहार लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा राज्य की सबसे कठिन परीक्षा है। इस परीक्षा के जरिए यूपीएससी के बाद सबसे महत्वपूर्ण पीसीएस पदों जैसे एसडीएम, डीएसपी, तहसीलदार और ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर के पदों पर अभ्यर्थयिों को तैनाती मिलती है। बीपीएससी 67वीं परीक्षा सफलता पाने के लिए लोग वर्षों कठिन परिश्रम करते हैं, जिसके बाद कुछ ही होनहारों को सफलता मिल पाती है। ऐसे ही प्रतिभाशाली लोंगों में से एक बिहार के पूर्वी चंपारण की नगमा तबस्सुम भी हैं। उनका एसडीएम पद पर चयन और भी खास है क्योंकि वह दो बच्चों की देखभाल करते हुए बीपीएससी 67वीं परीक्षा में 52वीं रैंक हासिल की है।
नगमा ने अपने परिवार की जिम्मेदारियां निभाने और लगातार कठिन परिश्रम के बूते पर अपने तीसरे प्रयास में उम्मा प्रदर्शन की एसडीएम के पद पर तैनाती पाई है। तबस्सुम की यह सफलता उन महिलाओं व बेटिशें के लिए बड़ा उदाहरण है जो परिवारिक जिम्मेदारियों के साथ कुछ बड़ा कराना चाहती हैं। नगमा ने स्थानीय मीडिया को बताया कि उन्होंने इससे पहले दो बार और बीपीएससी की परीक्षा दी लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी। उन्होंने हार नहीं मानी और धैर्य के साथ तीसरी बार में बीपीएससी 67वीं परीक्षा में सफलता हासिल की है। उन्होंने बताया कि उनकी इस सफलता के पीछे उनके पति और उनके ससुर का बहुत बड़ा सपोर्ट रहा है।
बीटेक, एमटेक के बाद लिया सिविल सर्वेंट बनने का फैसला:
नगमा की शैक्षिक पृष्ठभूमि की बात करें तो उन्होंने 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई तुरकौलियासे की है। इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से 12वीं और फिर बीटेक व एमटेक की पढ़ाई पूरी की है। नगमा वर्तमान में दो बच्चों इफरा और इमदाद की मां हैं। दो बच्चों में बेटी बड़ी जबकि बेटा छोटा है।
सिविल सेवा परीक्षा में ध्यान रखें दो बातें-
बीपीएससी 67वीं परीक्षा में सफलता पाने की कोशिश कर रहे अभ्यर्थियों को मुख्य रूप से दो टिप्स दिए हैं। बाकी अभ्यर्थियों के पास यदि लगन और कठिन मेहनत की क्षमता है तो एक दिन सफलता पा ही लेंगे। नगमा के दो टिप्स में पहला है धैर्य- उन्होंने कहा कि आप कितने भी तेज दिमाग के क्यों न हों लेकिन आपके पास लंबे समय तक तैयारी करने का धैर्य नहीं है तो इस परीक्षा में सफल होना संभव नहीं है। एक-दो असफल भी हो जाएं तो भी धैर्य न खोएं और लगातार मेहनत करते रहें। उनका दूसरा टिप्स है- टाइम मैनेजमेंट। नगमा में जिस तरह से दो बच्चों की देखभाल, पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ तैयारी की वह टाइम मैनेजमेंट का ही एक उम्दा उदाहरण है। इस प्रकार अभ्यर्थियों को एक-एक मिनट कीमती समय का सदुपयोग करना आना चाहिए।