ऐप पर पढ़ें
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 2022 में राजनीतिशास्त्र में एमए करने वाली खुशबू सोनी को पहले प्रयास में पीसीएस 2023 में सफलता मिली है। लेखाधिकारी/कोषाधिकारी के 17 पदों में खूशबू ने टॉप किया है। खास बात है कि संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में भी खुशबू ने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में सफलता हासिल की है और एक फरवरी को उनका साक्षात्कार होना है। इविवि से ही 2020 में बीए करने वाले खुशबू 2017 की सीबीएसई इंटर परीक्षा में डीपी पब्लिक स्कूल की टॉपर थीं।
उनके पिता नवल किशोर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के प्रभारी सचिव और राज्य शिक्षा संस्थान एलनगंज के प्राचार्य हैं। मां ऊषा देवी गृहणी हैं। मड़ियाहूं तहसील जौनपुर के मूल निवासी नवल किशोर छोटा बघाड़ा में रहते हैं। उनकी सबसे बड़ी बेटी वैज्ञानिक है, दूसरे नंबर की बेटी बैंक अफसर है।
UPPSC PCS : एक कठिन सवाल के जवाब ने आसान कर दी पीसीएस की राह, टॉपरों से पूछे थे ये प्रश्न
बैंक मैनेजर आशुतोष दूसरे प्रयास में बने डिप्टी जेलर
प्रयागराज। नीम सराय एडीए कॉलोनी के रहने वाले आशुतोष का चयन दूसरे प्रयास में डिप्टी जेलर के पद पर हुआ है। वर्तमान में मैं बैंक ऑफ बड़ौदा में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत आशुतोष बड़ौदा स्वरोजगार संस्थान मुट्ठीगंज में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं। उनके माता-पिता केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। 2021 से तैयारी शुरू करने वाले आशुतोष ने अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा दी थी। उनकी पत्नी बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापिका हैं तथा एक तीन साल का बेटा भी है।
दूसरे प्रयास में सब रजिस्ट्रार बने अनिल
प्रयागराज। पीसीएस 2023 में अनिल कुमार यादव का चयन सब रजिस्ट्रार के पद पर हुआ है। मूलत मोहाल चोलापुर वाराणसी के रहने वाले अनिल के पिता राम किशुन यादव आर्मी में सेवा दे चुके हैं। उनकी प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल से हुई है। हाईस्कूल तथा इंटरमीडिएट की परीक्षा इन्होंने अपने गृह जिले वाराणसी से प्रथम श्रेणी में पास कर कर्मभूमि इलाहाबाद को बनाया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी 2015, एमएससी मैथमेटिक्स 2017 में पूर्ण किया। इविवि से ही 2020 में एलएलबी भी किया। अनिल का झुकाव पहले एनडीए की तऱफ था लेकिन एलएलबी करने के दौरान इनका रुझान सिविल सर्विसेज की तरफ बढ़ा। 2022 में मुख्य परीक्षा दी थी। पहली बार इंटरव्यू तक पहुंचे और स़फल हुए। बीएससी करने के दौरान ये इविवि विश्विद्यालय के डॉ. ताराचंद छात्रावास और ़फरि हालैंड हाल छात्रावास में रहे। अनिल अपनी सफलता का श्रेय खुद की मेहनत, घर परिवार, शिक्षकों और मित्रों को देते हैं।