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UPSC सक्सेस स्टोरी: हर साल, हजारों उम्मीदवार भारत की सबसे कठिन संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा में शामिल होते हैं। कई इस परीक्षा में पास होते हैं तो कई उम्मीदवारों को निराशा हाथ लगती है। यूपीएससी की परीक्षा ऐसी परीक्षा है, जिसमें सफल होने के बाद खुशी का ठिकाना नहीं रहता, वहीं अगर आप असफल हो गए हैं, तो उल्टे- सीधे ख्याल मन में आ जाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही शख्स के बारे में बतान जा रहे हैं, जो एक- दो बार नहीं बल्कि 7 बार यूपीएससी की परीक्षा में असफल हुए और आठवें प्रयास में सफलता हासिल की। आइए जानते हैं रामभजन कुम्हार के बारे में।
राजस्थान के बापी गांव के रहने वाले रामभजन कुम्हार के पास ऐसा कोई पक्का घर नहीं था, जिसमें वह अपनी मां के साथ आराम से रह सके। यूपीएससी परीक्षा पास करने से पहले उनका जीवन काफी गरीबी में बीत रहा था। बता दें, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 667वीं रैंक हासिल की थी।
रामभजन का यूपीएससी की सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है। एक गरीब परिवार से आने के बावजूद, वह अब एक सरकारी पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले वह दिहाड़ी मजदूर का काम भी करते थे। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि “कई सालों पहले, बचपन में वह अपनी मां के साथ दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे। उनकी दिनचर्या में घंटों तक पत्थर तोड़ना शामिल था, जबकि उनकी मां पत्थरों का भारी बोझ ढोती थीं। उस समय दिन में 5 से 10 रुपये ही कमाई होती थी”
रामभजन के जीवन में एक कठोर मोड़ आया जब उनके पिता की कोविड-19 महामारी के दौरान अस्थमा से मृत्यु हो गई थी। पिता के जाने के बाद उनके परिवार को आर्थिक संकट से जूझना पड़ा था।
बता दें, साल 2020 तक रामभजन यूपीएससी के 6 प्रयास दे चुके थे। वहीं इन प्रयासों के दौरान उनकी शादी हो गई थी, जिसके बाद पारिवारिक जिम्मेदारी भी आ गई। साल 2021 में जब उनकी तैयारी चरम पर थी, उस समय उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद उन्हें महसूस हुआ कि यूपीएससी को छोड़ देना चाहिए।
वहीं उन्होंने खुद को संभाला और हार नहीं मानी। उन्होंने साल 2021 में यूपीएससी की परीक्षा दी और असफल हुए। जिसके बाद भी वह रुके नहीं। अब 7 बार असफलता देखने के बाद उन्होंने साल 2022 में यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार सफलता हासिल की। 8वें प्रयास में उन्होंने परीक्षा में 667 रैंक हासिल की थी।
रामभजन के दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के कारण उन्हें कई वर्षों की सेवा के बाद दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के रूप में नौकरी मिली।