लंबे घंटों की चुनौतिपूर्ण नौकरी के साथ तैयारी कर कैसे अपनी ड्रीम जॉब हासिल की जाए, यह कोई दिल्ली पुलिस की सब-इंस्पेक्टर निर्मला सिंह से सीखे। अपनी कड़ी मेहनत, लगन और जुनून के दम पर निर्मला अब एसआई से सिविल जज/मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट बनेंगी। निर्मला ने दिल्ली पुलिस की मुश्किल जॉब के साथ-साथ लॉ की पढ़ाई कर पहले खुद को दिल्ली जुडिशियल सर्विसेस एग्जाम (डीजेएस) देने के योग्य बनाया। और फिर इस भर्ती परीक्षा की तैयारी कर इसे पहले ही प्रयास में क्रैक कर डाला। वह दिल्ली पुलिस की सिर्फ तीसरी ऐसी कर्मी हैं जिन्होंने सक्रिय रूप से अपनी जॉब करने के साथ-साथ दिल्ली जुडिशियल सर्विसेस एग्जाम पास करने की उपलब्धि हासिल की है।
छठी कक्षा में जाकर सीखी एबीसीडी
हरियाणा में पलवल के सराय गांव में जन्मी निर्मला की कामयाबी की कहानी उन लोगों के लिए बड़ी सीख है जिन्होंने अपने ख्वाब को पूरा किए बगैर छोटी सी उपलब्धि से संतोष कर लिया और हार थक कर बैठ गए। पिता के आर्मी में होने के चलते निर्मला की स्कूली पढ़ाई कई राज्यों से हुई लेकिन उनकी प्राइमरी शिक्षा गांव के ही सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल से हुई। 5वीं कक्षा उन्हें अंग्रेजी विषय पढ़ने का मौका नहीं मिला। आज के दौर में जब बच्चे प्ले स्कूल में एबीसीडी सीख जाते हैं, उन्हें छठी कक्षा में जाकर स्कूल में एल्फाबेट पढ़ाया गया। आगे जाकर उन्होंने भविष्य की जरूरत को देखते हुए 8वीं क्लास में इंग्लिश मीडियम में शिफ्ट कर लिया। हालांकि शुरू में काफी दिक्कत हुई लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इंग्लिश सीखकर अपनी कमजोरी को ताकत बना लिया। सिक्किम के केंद्रीय विद्यालय से उन्होंने 11वीं 12वीं की पढ़ाई की।
दो बार पास करना पड़ा फर्स्ट ईयर एग्जाम
निर्मला के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) से बीकॉम करना भी कोई आसान काम नहीं था। दिल्ली यूनिवर्सिटी की माइग्रेशन पॉलिसी ने उनके लिए बीकॉम करना टेढ़ी खीर बना दिया। उन्होंने हैदराबाद के सेंटआंस कॉलेज (उस्मानिया यूनिवर्सिटी) से फर्स्ट ईयर किया और माइग्रेशन पॉलिसी के तहत डीयू में जीसस एंड मैरी कॉलेज (जेएमसी) के सकेंड ईयर में एडमिशन लिया। माइग्रेशन पॉलिसी के चलते उन्हें फिर से डीयू के सिलेबस के हिसाब से फर्स्ट ईयर का एग्जाम देना पड़ा। सेकेंड ईयर के एग्जाम के लिए उन्हें सिर्फ छह माह ही मिले थे।
कई-कई घंटों की बेहद मुश्किल नौकरी के साथ लॉ
ग्रेजुएशन (2006-09) करने के बाद निर्मला सरकारी नौकरी पाने के लिए एसएससी, आईबीपीएस बैंक समेत विभिन्न भर्ती परीक्षाओं की तैयारी में जुट गईं। उनका एसएससी दिल्ली पुलिस एसआई, सीएपीएफ एसआई (सीपीओ) एग्जाम और आईबीपीएस बैंक पीओ एग्जाम क्लियर हो गया। उन्होंने दिल्ली पुलिस एसआई का पद चुना। 14 महीने की ट्रेनिंग के बाद 2015 में उनकी पोस्टिंग एसआई (जांच) के तौर पर दिल्ली के गोविंद पुरी पुलिस स्टेशन में हुई। इनवेस्टिगेशन एसआई होने के चलते उन्हें पुलिस स्टेशन से कोर्ट और कोर्ट से पुलिस स्टेशन के कई चक्कर काटने पड़ते थे। इस दौरान उन्हें जुडिशियरी सिस्टम (न्यायपालिका व्यवस्था) को जानने का मौका मिला और उन्होंने जुडिशियल अफसर बनने की ठानी। इसके लिए उन्हें दिल्ली जुडिशियल सर्विसेज का एग्जाम क्रैक करना था। लेकिन दिल्ली जुडिशियल सर्विसेज के लिए लॉ डिग्री की पात्रता चाहिए होती है जबकि उनके पास बीकॉम की डिग्री थी।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड पुलिस में निकली SI की भर्ती, दारोगा समेत कुल 222 वैकेंसी
निर्मला ने जॉब के साथ-साथ डीयू से लॉ की डिग्री (2016-19) हासिल कर पहले खुद को जुडिशियल एग्जामिनेशन में बैठने के पात्र बनाया। कोविड के दौरान उन्होंने 2020-2022 में एलएलएम भी कर लिया। दिल्ली जुडिशियल एग्जाम 2022 की भर्ती परीक्षा उन्होंने पहले ही प्रयास में पास की। एलएलबी की पढ़ाई के दौरान उनकी पोस्टिंग गोविंद पुरी और सागरपुर जैसे पुलिस स्टेशनों में रही जहां क्राइम केस काफी अधिक संख्या में रजिस्टर होते हैं। सब-इंस्पेक्टर (इनवेस्टिगेशन) होने के चलते केस की शुरुआती जांच, आरोपियों से पूछताछ, उन्हें जांच सहित कोर्ट में पेश करने का जिम्मा उन्हीं पर रहता था। कई-कई बार उन्हें देर रात तक थाने में रुकना पड़ता। वह आरोपी व जांच के साथ सुबह कोर्ट में पेश हुआ करती थी। इन सबके बावजूद वह डीयू लॉ फैकल्टी (नॉर्थ कैंपस ) में एलएलबी की ईवनिंग क्लासेस अटेंड करती थीं जो कि उनके थाने से दिल्ली का दूसरा कोना था। उन्होंने फर्स्ट डिविजन से लॉ की डिग्री हासिल की।
लाइव हिन्दुस्तान के साथ खास बातचीत में निर्मला सिंह ने बताया, ‘मैं सुबह 7 बजे निकल जाया करती थी। मॉर्निंग कोर्ट में केसों की जांच व आरोपियों के साथ कोर्ट में पेश होना होता था। कई बार एक से अधिक थानों के केसों की जांच का काम भी देखना होता था। जांच एसआई होने के नाते मामलों में आरोपियों से पूछताछ और जांच के लिए सभी जरूरी चीजें तैयार करनी होती थी। गोविंद पुरी दक्षिणी दिल्ली का एक कोना है और नॉर्थ कैंपस लॉ फैकल्टी दिल्ली का दूसरा कोना। इसलिए काफी दौड़ भाग कर ईवनिंग में लॉ की क्लासेज करती थी। ऐसा भी बहुत बार हुआ जब पुलिस स्टेशन में देर रात तक रुकना पड़ा और दो-तीन घंटे ही सोने को मिला।’
लॉ की पढ़ाई व भर्ती परीक्षा की तैयारी कैसे की? इस सवाल पर निर्मला ने कहा, ‘मैंने अपने ट्रैवलिंग टाइम को जाया नहीं होने दिया। पढ़ाई में उसका भरपूर इस्तेमाल किया। मैं कहीं भी जाऊं, मेरे पास हमेशा किताब रहती थी। मेट्रो हो या बैट्री रिक्शा, मैं हमेशा सफर के दौरान किताब पढ़ती रहती थी। अपने फोन में भी सिलेबस की जरूरी चीजें सेव करके रख लिया करती थी और मौका मिलते ही उसे पढ़ती थी। इस दौरान सोशल मीडिया पर काफी कम एक्टिव थी। सोशल लाइफ में कट सी गई थी। इस सफलता में मेरे परिवार का काफी बड़ा योगदान रहा है, उन्होंने मुझे काफी सपोर्ट किया।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे पुलिस विभाग से भी पूरा सपोर्ट मिला। यहां पर जो मेरा काम और जिम्मेदारियां थी, उससे जुडिशियल एग्जाम क्रैक करने में काफी मदद मिली।’