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असम सरकार ने सरकारी स्कूल के छात्रों को बड़ा तोहफा दिया है। अब राज्य के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों की पांच फीसदी सीटें राज्य सरकार द्वारा संचालित सरकारी स्कूल से पास छात्रों के लिए आरक्षित रहेंगी। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को यह घोषणा की। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेजों में सरकारी स्कूल के बच्चों को पांच फीसदी आरक्षण मिलेगा।
असम के शिक्षा मंत्री डॉ. रनोज पेगु ने कहा कि जिन छात्रों ने बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सेबा) से संबद्ध स्कूलों से 7वीं से 10वीं तक और असम हायर सेकेंडरी एजुकेशन काउंसिल (एएचएसईसी) से संबद्ध स्कूलों व कॉलेजों से 11वीं व 12वीं की पढ़ाई की होगी, वे इस आरक्षण के पात्र होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि यह आरक्षण कोई अतिरिक्त कोटा नहीं है और इसे मौजूदा श्रेणियों जैसे अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अल्पसंख्यक और अन्य पिछड़ा वर्ग (एमओबीसी), ईडब्ल्यूएस या जनरल कैटेगरी से ही योग्यता के आधार पर समायोजित किया जाएगा।
पेगू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “यह पहल सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करेगी और छात्रों को सरकारी स्कूलों को चुनने के लिए प्रोत्साहित करेगी।” असम सरकार का लक्ष्य राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में नामांकन बढ़ाना है।
इसके अलावा असम सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 का अनुसरण करते हुए सेबा और एएचएसईसी दोनों बोर्डों को मर्ज करने का फैसला किया है।
असम में एक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और 13 सरकार द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज एवं 29 से अधिक सरकार द्वारा संचालित इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। इसी साल सितंबर में मुख्यमंत्री ने कहा था कि 2026-27 तक राज्य में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 21 हो जाएगी।
असम से पहले मध्य प्रदेश सरकार भी मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजो की पांच फीसदी सीटें
सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए आरक्षित कर चुकी है।