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बीते पांच सालों में 2017 से 2021 तक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में कुल 4371 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है जिनमें 2783 यानी 63 फीसदी अभ्यर्थी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले थे। केंद्र सरकार ने राज्यसभा में यह जानकारी दी। केन्द्रीय कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पांच सालों में सफल उम्मीदवारों में 1033 यानी 23 फीसदी ह्यूमिनिटीज स्ट्रीम से ताल्लुक रखते हैं। 240 अभ्यर्थी मेडिकल साइंस और 3337 अभ्यर्थी बैचलर डिग्री वाले रहे। 1034 अभ्यर्थियों के पास हायर क्वालिफिकेशन डिग्री थी।
सरकार की ओर से पेश आंकड़ों के मुताबिक, परीक्षा में सफल उम्मीदवारों में से 75 फीसदी पुरुष और 25 फीसदी महिलाएं थीं। सफल उम्मीदवारों में असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी और कन्नड़ भाषा मीडियम वाले सर्वाधिक रहे।
2021, 2020 और 2019 में सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए वैकल्पिक विषयों की सूची में राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध शीर्ष पर रहे। यानी जिन्होंने राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध ऑप्शनल विषय चुना था, वे सबसे ज्यादा पास हुए। 2018 में समाजशास्त्र ऑप्शनल विषय चुनने वाले सबसे ज्यादा पास हुए जबकि 2017 में भूगोल ऑप्शनल विषय चुनने वाले सर्वाधिक पास हुए।
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यूपीएससी सिविल सेवा के जरिए इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज (आईएएस), भारतीय पुलिस सर्विसेज (आईपीएस) और भारतीय फॉरेन सर्विसेज (आईएफएस), रेलवे ग्रुप ए (इंडियन रेलवे अकाउंट्स सर्विस) सहित अन्य सेवाओं के लिए चयन किया जाता है। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा हर वर्ष तीन चरणों — प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार– में आयोजित की जाती है। मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में प्रदर्शन के आधार पर फाइनल मेरिट लिस्ट जारी होती है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 में टॉप 10 रैंक होल्डर्स में से 6 इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के थे। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स की एनालिटिकल स्किल बेहतर होती है। इससे उन्हें प्रीलिम्स परीक्षा पास करने में आसानी होती है।