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Engineers Day 2023: आज देश इंजीनियर्स डे ( Engineer’s Day ) मना रहा है। बिना इंजीनियरों के किसी भी देश का विकास व निर्माण असंभव है। हर साल भारत में 15 सितंबर का दिन इंजीनियर्स डे के रूप में मनाता है। आज राष्ट्र निर्माण में इंजीनियरों की तरफ से किए गए प्रयासों को सलाम करने का दिन है। यह दिन देश के महान इंजीनियर और भारत रत्न से सम्मानित मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को समर्पित है। एम विश्वेश्वरैया ने राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ा योगदान दिया था इसलिए उनके जन्मदिन 15 सितंबर को देश में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। एम विश्वेश्वरैया बाढ़ आपदा प्रबंधन और सिंचाई तकनीकों में माहिर थे। सिविल इंजीनियर विश्वेश्वरैया ने आधुनिक भारत के बांधो, जलाशयों और जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। सरकार ने साल 1955 में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था।
यह दिन देश के उन सभी इंजीनियरों की मेहनत और लगन को सलाम करने का दिन है जो देश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। इन्हीं इंजीनियरों के अथक प्रयासों की बदौलत लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है। देश के इंजीनियरों ने अपनी खोजों से आमजनजीवन को सुगम बना दिया है।
कौन थे एम विश्वेश्वरैया
विश्वेश्वरैया को देश में सर एमवी के नाम से भी जाना जाता था। भारत रत्न से सम्मानित एम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक में मैसूर के कोलार जिले स्थित क्काबल्लापुर तालुक में एक तेलुगू परिवार में हुआ था। विश्वेश्वरैया के पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री था, जो संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेद के डॉक्टर थे।
1883 में पूना के साइंस कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद विश्वेश्वरैया को तत्काल ही सहायक इंजीनियर पद पर सरकारी नौकरी मिल गई थी। वे मैसूर के 19वें दीवान थे और 1912 से 1918 तक रहे। मैसूर में किए गए उनके कामों के कारण उन्हें मॉर्डन मैसूर का पिता कहा जाता है। उन्होंने मैसूर सरकार के साथ मिलकर कई फैक्ट्रियों और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करवाई थी। उन्होंने मांड्या जिले में बने कृष्णराज सागर बांध के निर्माण का मुख्य योगदान दिया था। उन्होंने पुणे के पास खडकवासला जलाशय में वाटर फ्लडगेट्स के साथ एक सिंचाई प्रणाली का पेटेंट कराया और स्थापित किया। 1917 में विश्वेश्वरैया ने कर्नाटक में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, जिसे अब यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता है। 1955 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार मिला। डॉ. मोक्षगुंडम को कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है। 1962 में 102 साल की उम्र में डॉ. मोक्षगुंडम का निधन हुआ।
इंजीनियर्स डे के मौके पर इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्टूडेंट्स को उनकी उपलब्धियों पर पर अवॉर्ड दिए जाते हैं।