jamia millia islamia jmi opposes in delhi high court plea seeking ews quota Inspiretohire

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जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने 2019 में संविधान संशोधन के संदर्भ में दिल्ली उच्च न्यायालय में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों पर पैर रखा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, ईडब्ल्यूएस) के छात्रों के लिए 10 प्रतिशत तथ्य के अनुरोध के लिए जनहित याचिका का विरोध किया गया है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जामिया) सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी दलील रखी। जेएमआई ने याचिका के जवाब में अपने हलफनामे के पक्ष में पैर रखते हुए कहा कि अल्पसंख्यक संस्थान होने के कारण वह इस नीति के अंतर्गत नहीं आता है।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जामिया) ने कहा- जनवरी 2019 में भारत सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, शेयर दाखिले में ईडब्ल्यूएस विवरणी अल्पसंख्यक विवरणी के लिए लागू नहीं होता। भारत सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से एकल पाठ्यक्रमों में ईडब्ल्यूएस के विवरण के लिए 17 जनवरी 2019 को एक घोषणा जारी की थी। इसमें कहा गया था कि ईडब्ल्यूएस कोटा आठ उत्कृष्ट शोध ग्रन्थ… और संविधान के लेखा-जोखा 30 के खंड (1) में निर्दिष्ट अल्पसंख्यक लेखापरीक्षा पर लागू नहीं होंगे।

मूल वकील प्रीतीश सभरवाल के माध्यम से पैर जमाए गए जवाब में कहा गया है कि साइट की संपत्तियों के तहत जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संदर्भ में ईडब्ल्यूएस विवरण लागू नहीं होगा। जे मी (जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जामिया) उन्होंने अपनी दलीलों में यह भी कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया को अल्पसंख्यक संस्थान घोषित करने के लिए फरवरी 2011 में आदेश जारी किया था।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने यह भी कहा कि जनहित याचिकाओं का कुछ लोगों द्वारा गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। मौजूदा याचिका खारिज करने योग्य है। आसानी से हो कि कानूनी की इच्छा गोस्वामी ने इस साल की शुरुआत में दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था। आकांक्षा गोस्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 के संदर्भ में अवैध वर्ष 2023-2024 से प्रवेश के समय EWSS श्रेणी के छात्रों के लिए सीट आवंटन रोका जाना चाहिए।

आकांक्षा गोस्वामी ने अपनी याचिका में कहा कि संविधान में 103वां संशोधन उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरी में उनके लिए 10 तथ्य का प्रावधान करता है। जेएमआई को ईडब्ल्यूएस अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूजीसी) से सहायता मिलती है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को तय की है।

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