भारत में आज भी ऐसे परिवार हैं जहां गहने बेचकर बच्चों को एजुकेशन दी जाती है। इन परिवारों के बच्चे जानते हैं एजुकेशन उनके लिए कितनी जरूरी है। आज हम बात कर रहे हैं, रितिका पॉल की, जिन्होंने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) में सफलता हासिल की है। आइए जानते हैं उनके बारे में।
रितिका पॉल दिल्ली की रहने वाली हैं। वह एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जहां आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है, लेकिन उन्होंने कभी गरीबी को अपने सपनों के आगे नहीं आने दिया और हमेशा बड़े सपने देखें। रितिका अपनी नानी के काफी करीब थीं। जब उनकी नानी हमेशा के लिए ये दुनिया छोड़ कर चली गई, तो वह इस गम से उबर नहीं पाई। कुछ समय बाद अपनी नानी को खोने के गम से उबरते हुए रितिका ने एक कैंसर स्पेशलिस्ट बनने का सपना देखा। जिसके बाद उन्होंने नीट की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।
मुश्किल था सफर, मजबूत थे इरादे
रितिका के सपने बड़े थे, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए रितिका को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। रितिका का परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था। उनके पिता एंब्रॉयडरी फैक्ट्री में कम सैलरी पर काम करते थे। जिससे उनका परिवार चलता था। वहीं रितिका की मां एक हाउस वाइफ हैं।
रितिका के माता-पिता चाहते थे कि वह दिल्ली में नीट परीक्षा के लिए कोचिंग लें, लेकिन उनके पास कोचिंग सेंटर की फीस भरने के लिए पूरे पैसे नहीं थे। बता दें, रितिका के परिवार में पांच लोग हैं, जो ईस्ट दिल्ली के मोलरबंद इलाके में एक छोटे से दो बेडरूम के फ्लैट में रहता है। रितिका जानती थी उनका सफर आसान नहीं होगा, लेकिन उनके मन में कभी भी हिम्मत न हारने का ख्याल नहीं आया।
उधार की किताबों से की थी तैयारी
कोरोना वायरस महामारी से पहले, रितिका NEET की तैयारी के लिए अपने दोस्तों से किताबें और नोट्स उधार लिया करती थी। वह इन्हीं से अपनी तैयारी करती थी, लेकिन जब कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लग गया, उनकी पढ़ाई रुक सी गई। जहां एक ओर स्कूल बंद गए वहीं दूसरी ओर दोस्तों से किताबें लेना भी छूट गया। जिसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ा। वहीं उनका परिवार ट्यूशन या कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकता था और ऑनलाइन क्लासेस के लिए रितिका के पास स्मार्टफोन नहीं था।
जब बेचने पड़े मां के गहने
रितिका की सफलता की पीछे उनके परिवार का काफी सपोर्ट है। जब कोई रास्ता नहीं दिखा, तब उनके परिवार ने बेटी की पढ़ाई के लिए गहने बेचना ही सही समझा। रितिका की मां ने उनकी शादी के लिए ये गहने बचाकर रखे थे, लेकिन मां जानती थी आज बेटी की पढ़ाई ज्यादा जरूरी है।
गहने बेचकर जो पैसे मिले उनसे उन्होंने बायोलॉजी की किताबें खरीदीं और नीट की तैयारी के लिए यूट्यूब वीडियो और फ्री ऑनलाइन क्लासेज की हेल्प ली।
बता दें, रितिका ने कक्षा 12वीं में 98% मार्क्स हासिल किए थे। इसी के साथ उन्होंने नीट परीक्षा में 720 में से 500 मार्क्स के साथ 3032 रैंक हासिल की थी। अब रितिका अपना डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकती है।