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यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में हर साल करीब 9 से 10 लाख अभ्यर्थी बैठते हैं। लेकिन सिर्फ 800 से 900 लोगों का ही चयन हो पाता है। चयनितों में बहुत से अभ्यर्थी ऐसे होते हैं जो आईएएस अफसर बनने का ख्वाब लेकर फिर से यूपीएससी परीक्षा में बैठते हैं। यूपीएससी में टॉप रैंक लाने वाले अभ्यर्थियों को ही आईएएस मिलता है। आमतौर पर अभ्यर्थियों की पसंद भी आईएएस ही होता है। लेकिन यहां उस उम्मीदवार की बात हो रही है जिसने यूपीएससी सिविल सर्विसेज एग्जाम में शानदार रैंक आने के बावजूद आईएएस (इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज) छोड़ आईएफएस (इंडियन फॉरेन सर्विसेज) चुना। मूल रूप से यूपी के बस्ती जिले की रहने वाली अपाला मिश्रा ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 में 9वीं रैंक हासिल की लेकिन उन्होंने परंपरा से हटकर आईएएस छोड़ आईएफएस सर्विसेज को चुना।
क्यों लिया आईएफएस में जाने का फैसला
एक इंटरव्यू में अपाला से पूछा गया कि उन्होंने यूपीएससी में शानदार रैंक आने के बावजूद आईएएस सर्विसेज छोड़ आईएफएस क्यों चुनी? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के तीन चरण जरूर होते हैं लेकिन चयन होने के बाद आप जो जॉब करने जा रहे हैं वो आपके जीवन के अगले 30 साल आपके साथ रहेगी। इसलिए आपको आपकी पसंद का काम चुनना है। आप असल में क्या करना चाहते हैं। आप वही चुनें जिसको करने को लेकर आपमें जुनून है। मेरे मामले में आईएफएस चुनने की दो वजहें थी – पहला कि मुझे अंतर्राष्ट्रीय संबंध का विषय बहुत पसंद रहा है। इस पर पढ़ने व जानने की मुझे बहुत ललक रहती है। यूपीएससी इंटरव्यू के बाद मैंने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर कई किताबें पढ़ना चाही। तो मुझे लगा कि अपनी इस स्ट्रेंथ का इस्तेमाल देश की सेवा में कर सकती हूं। इसलिए मैं आईएफएस चुना।’
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उन्होंने कहा, ‘आईएसएफ मेरे कोई करियर ऑप्शन नहीं बल्कि ड्रीम था। शुरुआत में आईएएस व आईएफएस में सर्विसेज का चुनाव मेरे लिए काफी दुविधा वाला था क्योंकि परंपरा से हटकर इस तरह का फैसला लेना मुश्किल था। जो कोई नहीं करता वो मैं करूं। डर था कि बाद में पछताऊं ना। लेकिन तैयारी के दौरान मैंने इंडियन फॉरेन सर्विसेज और इसके ऑफिसर्स के बारे में जाना। तो मेरी दिलचस्प इसमें बढ़ गई। इसके अलावा मैं आर्मी बैकग्राउंड से आती हूं, देश का इंटरनेशनल लेवल पर प्रतिनिधित्व करना, यही मैंने चाहा था।’
अपाला मिश्रा ने आर्मी मेडिकल कॉलेज से बीडीएस किया है। यूपीएससी की तैयारी से पहले डेंटिस्ट्री की पढ़ाई कर वह कुशल डेंटल सर्जन बन गई थीं। उनका परिवार गाजियाबाद में रहता है। डॉ अपाला ने तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की। पहले दो प्रयास में वह प्रीलिम्स भी पास नहीं कर सकी थीं। उनके पिता अमिताभ मिश्र आर्मी से रिटायर्ड कर्नल हैं और मां प्रोफेसर अल्पना मिश्र हिंदी की प्रसिद्ध कथाकार और दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली के हिंदी विभाग, नार्थ कैंपस में प्रोफेसर हैं। भाई भी आर्मी में अफसर है। डॉ अपाला के दादा एनएम मिश्रा डीजीएमएस (खान सुरक्षा महानिदेशालय) में अधिकारी थे।
इंटरव्यू की टॉपर
अपाला ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 में इंटरव्यू में सर्वाधिक अंक हासिल किए थे। उन्होंने 275 में से 215 अंक प्राप्त किए थे। पिछले 5 सालों में यह सर्वाधिक मार्क्स थे।
अपाला ने 2018 से घर पर रह कर तैयारी शुरू की और प्रतिदिन 7-8 घंटे पढ़ाई का लक्ष्य रखा। यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को संदेश देते हुए उन्होंन कहा कि वे अपना आत्मविश्वास बनाये रखें और निरंतर परिश्रम का लक्ष्य रखें। वे कहती हैं कि किसी भी उड़ान के लिए हौसला बहुत जरूरी है। इस परीक्षा की तैयारी के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है। उनका रूटीन प्रतिदिन निश्चित समय पर उठना, थोड़ा शारीरिक व्यायाम और हेल्दी खाना के साथ साथ 7- 8 घंटे पढ़ने का लक्ष्य रहता था।