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आपके पास एक स्कूल शिक्षक बनने के लिए अब तीन रास्ते हैं – 10+2 के बाद 2 वर्षीय डीएलएड यानी डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन कोर्स, 10+2 के बाद ही 4 वर्षीय आईटीईपी यानी इंटिग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम और ग्रेजुएशन के बाद 2 वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत कई नए पाठ्यक्रमों पर जोर दिया जा रहा है, जिसके अंतर्गत 4 वर्षीय आईटीईपी यानी इंटिग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम प्रारंभ किया गया, जिसके अंतर्गत आपको अलग से ग्रेजुएशन करने की जरूरत नहीं होती और इसमें ग्रेजुएशन और बीएड की संयुक्त डिग्री प्रदान की जाती है। बीच में यह भी भ्रांति उठी कि आईटीईपी के आने के बाद क्या ग्रेजुएशन के बाद होने वाले बीएड पाठ्यक्रम को बंद कर दिया जाएगा। परन्तु यह स्पष्ट हो कि बीएड को बंद नहीं किया जाएगा, परंतु आईटीईपी पर अवश्य जोर दिया जाएगा। करियर काउंसलर आशीष आदर्श ने यह बात उस विद्यार्थी के प्रश्न पर कही जिसने पूछा था कि वह टीचर बनना चाहता है और 12वीं के बाद ही कौन सा टीचिंग कोर्स कर सकता है।
देश में टीचिंग कोर्स की मान्यता देने वाली संस्था नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन यानी एनसीटीई ने अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ सरकारी बीएड कॉलेजों को आईटीईपी कोर्स चलाने की अनुमति दी है, जिसका आकलन करने के बाद निजी बीएड संस्थानों में भी इस कोर्स को चलाया जाएगा। उपरोक्त तीनों पाठ्यक्रमों में मूल अंतर यह है कि 10+2 के बाद 2 वर्षीय डीएलएड करने के बाद आप प्राइमरी कक्षा की शिक्षिका बन सकती हैं, जबकि सेकेंडरी कक्षाओं के लिए आपके पास बीएड या आईटीईपी की डिग्री होनी चाहिए।
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रस्तावित कक्षाओं के स्तर की बात करें, तो फाउंडेशन और प्रेपरेटरी स्टेज यानी कक्षा 5 तक के लिए डीएलएड उत्तीर्ण शिक्षकों और मिडिल और सेकेंडरी स्टेज के छात्रों के लिए बीएड या आईटीईपी उत्तीर्ण शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है।
प्रश्न- ऑप्टोमीट्री का क्षेत्र करियर के लिहाज से कैसा है? मैं अभी बायो से 10+2 कर रहा हूं और अगले वर्ष बोर्ड परीक्षा में बैठूंगा।
एक्सपर्ट का उत्तर – एक ऑप्टोमीट्रिस्ट वह विशेषज्ञ होता है, जो आपकी आंखों की जांच कर आपको एक सही चश्मा या लेंस का सुझाव देता है। आपको लगभग सभी बड़े चश्मे की दुकान, आई हॉस्पिटल, आई क्लिनिक और आंखों के डॉक्टर्स से लेकर भारतीय सेना में बड़ी संख्या में ऑप्टोमीट्रिस्ट मिल जाएंगे। ऑप्टोमीट्री एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें योग्यता प्राप्त छात्रों को अवसरों की कोई कमी नहीं। एक ऑप्टोमीट्री एक्सपर्ट जहां एक ओर किसी सरकारी या गैर सरकारी अस्पताल में एक ऑप्टोमीट्रिस्ट के तौर पर कार्य कर सकता है, वहीं अपने खुद के चश्मे या आंख से संबंधित सेवाओं के लिए अपना खुद का भी प्रतिष्ठान स्थापित कर सकता है। पाठ्यक्रमों में 10+2 के बाद 2 वर्षीय डिप्लोमा इन ऑप्टोमीट्री, 3 वर्षीय बीएससी इन ऑप्टोमीट्री और 4 वर्षीय बैचलर इन ऑप्टोमीट्री उपलब्ध हैं।