NEET MBBS Admission : तमिलनाडु में इस बार पिछले साल से भी ज्यादा एमबीबीएस की सीटें खाली रहने के आसार हैं। एमबीबीएस एडमिशन की डेडलाइन 30 सितंबर पीछे छूट चुकी है लेकिन अभी भी राज्य में एमबीबीएस की 83 सीटें खाली पड़ी हैं। हैरानी की बात यह भी है कि इन रिक्त सीटों में 3 सीटें एम्स, मदुरै की हैं। 16 सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों की हैं। पिछले साल नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) को राज्य में एमबीबीएस की छह सीटों पर कोई उम्मीदवार ही नहीं मिल पाया था। ये सीटें मद्रास मेडिकल कॉलेज और स्टेनली मेडिकल कॉलेज के बाद सबसे प्रतिष्ठित कॉलेजों की थीं। स्थिति से लगता है कि इस साल का हाल पिछले साल से भी बुरा होने वाला है। एनएमसी की नीति की नाकामी के चलते पिछले साल की तरह इस साल भी मुदरै व कोयम्बटूर के साथ स्टेनली मेडिकल कॉलेज व ओमानदुरार मेडिकल कॉलेज में भी सीटें खाली रहेंगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटों की जबरदस्त डिमांड होने के बावजूद एनएमसी एडमिशन पॉलिसी में खामी के चलते यहां की कई सीटें खाली रहेंगी। काउंसिल की पॉलिसी के मुताबिक चौथे और अंतिम राउंड की काउंसलिंग के बाद भी वह खाली मेडिकल सीटें राज्य को सरेंडर नहीं कर सकती है। अब जब तक एनएमसी या सरकार काउंसलिंग डेडलाइन बढ़वाने या एक और राउंड की काउंसलिंग आयोजित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख नहीं करते, तब तक ये सीटें खाली ही रहेंगी।
4 राउंड के बाद भी नहीं भर सकीं सीटें
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज, नई दिल्ली के तहत एमसीसी और डायरेक्टोरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन इन तमिलनाडु के तहत स्टेट सेलेक्शन कमिटी की चार राउंड की काउंसलिंग के बाद भी एमबीबीएस की सीटें भर नहीं सकी हैं। एमसीसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक हम राज्य सरकार या डीम्ड यूनिवर्सिटी को सीटें वापस नहीं कर सकते।’ उन्होंने कहा, ‘स्टूडेंट्स को जो सीट अलॉट की जाती है, वह जॉइन नहीं करते हैं, इस अनुभव के बाद हमने ऐसे स्टूडेंट्स चयन प्रक्रिया से बाहर करने का नियम बनाया है। इससे हमें खाली सीटों की संख्या कम करने में मदद तो मिली है लेकिन हम इस समस्या को पूरी तरह खत्म नहीं कर पाए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सितंबर में दाखिले बंद हो गए थे।’
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कहां कितनी MBBS की सीटें खाली
राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक ऑल इंडिया कोटा एमबीबीएस की 16 सीटें खाली हैं जिसमें तीन मदुरै मेडिकल कॉलेज, दो-दो स्टेनली मेडिकल कॉलेज, कोयम्बटूर मेडिकल कॉलेज और ओमानदुरार मेडिकल कॉलेज में और एक एक सीट ईएसआई मेडिकल कॉलेज कोयम्बटूर, करूर मेडिकल कॉलेज, तिरुवन्नामलाई मेडिकल कॉलेज, नागापट्टिनम मेडिकल कॉलेज, दि नीलगिरी मेडिकल कॉलेज, तिरुवल्लूर मेडिकल कॉलेज और तिरुपुर मेडिकल कॉलेज में हैं।
इसके अलावा शहर में 50 सीटें डीम्ड यूनिवर्सिटी में खाली हैं जिसकी ट्यूशन फीस 26 लाख रुपये तक है। 13 सीटें सेल्फ फाइनेंसिंग मेडिकल कॉलेज और चार प्राइवेट मेडिकल यूनिवर्सिटीज में है।
BDS की सीटें भी खाली
डेंटल गवर्नमेंट कॉलेजों में भी 24 बीडीएस सीटें खाली हैं। 203 सीटें सेल्फ फाइनेंसिंग कॉलेज और 51 डीम्ड यूनिवर्सिटी में खाली हैं।
तमिलनाडु ने AIQ में 80 सीटें सरेंडर कीं
आपको बता दें कि तमिलनाडु ने ऑल इंडिया कोटा में 800 सीटें सरेंडर की हैं जो कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध सीटों का 15 प्रतिशत है। छात्र, अभिभावकों और काउंसलरों ने राज्य सरकार से गुहार लगाई है कि वह सरकारी मेडिकल कॉलेजों की खाली सीटें भरने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए। एक छात्र के पेरेंट्स ने कहा, ‘कुछ छात्र सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सीटें ब्लॉक कर लेते हैं, इस वजह से होनहार छात्रों को भी मजबूरन सेल्फ फाइनेंसिंग कॉलेज व डीम्स यूनिवर्सिटी का रख करना पड़ता है।’