Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech In Hindi: National Unity Day speech ekta diwas sardar patel speech-Inspire To Hire


Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech , National Unity Day Essay Speech : 31 अक्टूबर को भारत की एकता के सूत्रधार कहे जाने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती है। महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभभाई पटेल देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृहमंत्री रहे। जब भारत आजाद हुआ था तब देश 550 से ज्यादा रियासतों में बंटा था। इन्हें भारत में मिलाने में सरदार पटेल से सबसे अहम भूमिका निभाई। यह वजह है कि वह  भारतीय एकता के प्रतीक बन गए। उनका जन्मदिन देश भर में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सरदार पटेल की जयंती पर विभिन्न स्कूलों व कॉलेजों में क्वीज, निबंध व भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। इसमें उनके शानदार व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला जाता है। अगर सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर आप भी भाषण या निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं तो नीचे दिए गए भाषण से उदाहरण ले सकते हैं।

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Sardar Vallabhbhai Patel Jayani Speech , Essay National Unity Day speech Essay : सरदार पटेल जयंती, राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण

आदरणीय प्रिंसिपल सर, अध्यापकों, एवं मेरे प्यारे दोस्तों– 

आज लौह पुरुष, राष्ट्रीय एकीकरण के शिल्पकार, भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ। साथियों, जब भारत आजाद हुआ तब हमारा मुल्क 550 से भी ज्यादा छोटी बड़ी देशी रियासतों में बंटा हुआ था। इन्हें हिंदुस्तान में मिलाना बेहद जरूरी था जो कि एक चुनौतिपूर्ण कार्य था। कई रियासतें भारत में न मिलकर खुद को अलग स्वतंत्र रखना चाहती थीं। सरदार पटेल भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृहमंत्री थे। उन्होंने देश के एकीकरण में बेहद अहम भूमिका निभाई। यही वजह है कि उन्हें राष्ट्रीय एकता का प्रणेता माना जाता है। 

सरदार पटेल अपनी बेहतरीन नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमताओं के लिए भी जाने जाते थे। पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने सभी रियासतों के राजाओं को यह स्पष्ट कर दिया था कि अलग राज्य का उनका सपना असंभव है और भारतीय गणतंत्र का हिस्सा बनने में ही उनकी भलाई है। उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और राजनैतिक दूरदर्शिता से छोटी रियासतों को संगठित किया। भारत के भौगोलिक एकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होने के चलते उनकी जयंती को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस (  National Unity Day ) के तौर पर मनाया जाता है। पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस 2014 में मनाया गया था। 

 

सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। वे अपने पिता झवेरभाई पटेल और माता लाडबाई की चौथी संतान थे। उन्होंने लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया।  स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की थी। सरदार पटेल स्पष्ट व निर्भीक वक्ता थे। यदि वे कभी गांधी जी व जवाहर लाल नेहरू से असहमत होते तो वे उसे भी साफ कह देते थे। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें तीन साल की कैद हुई।

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महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी। यह सरदार पटेल का ही विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एक रखने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर काफी जोर दिया। उन्होंने सिविल सेवाओं को स्टील फ्रेम कहा था।   

किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता है और सरदार पटेल देश की एकता के सूत्रधार थे। सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था। सन 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।

सरदार पटेल की जयंती पर जगह जगह रन फॉर यूनिटी का आयोजन होता है। कुछ कार्यक्रमों में उनके महान व्यक्तित्व, उनके सशक्त विचारों, आजादी, राष्ट्रनिर्माण व एकीकरण में उनके योगदान से जनता को रूबरू कराया जाता है। दोस्तों, आज सरदार पटेल की जयंती पर हमें उनके विचारों को जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। उनके अनुशासित जीवन से सीख लेना चाहिए। इसी के साथ मैं अपना भाषण खत्म करना चाहूंगा। 

धन्यवाद , जय हिंद, जय भारत। 


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